राज्यमंत्री


खान मंत्री श्री रामलाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान में खनिज उद्योग का हुआ तेजी से विकास

• नवीन खनिज निति का निर्माण किया गया | इसमें पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया गया | नवीन निति के अंतर्गत राज्य में खनिज संसधानों के वैज्ञानिक खनन और अधिकतम दोहन के साथ ही खनन उद्योग में लगे श्रमिकों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया| इसी से राज्य में अवैध खनन को रोका जा सका और खनन क्षेत्र से रिकॉर्ड राजस्व की प्राप्ति प्रदेश को हुई|
• प्रदेश में श्री रामलाल जाट के नेतृत्व में खनिज विभाग के कार्य में पारदर्शिता और त्वरितता लाने के उद्देशीय से ही डीएमजी ऑन लाईन मैनेजमेंट सिस्टम की शुरुआत 18 फरवरी 2009 से की गयी| इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपने खनन पट्टे एवं आवदेन पत्र के संबंध में घर बैठे ही सारी जानकारी इंटरनेट से प्राप्त कर सकता है |
• इसके अलावा खनन उद्योग में प्रक्रियाओं का सभी स्तरों पर हमने सरलीकरण कर दिया गया | इससे खनन उधमियों के साथ ही तमाम दूसरे पक्षों को भी लाभ मिला है |
• अलौह धातु सीसा, जस्ता एवं तांबा के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से राजस्थान पुरे देश में पंहुचा प्रथम स्थान पर | खनन की बेहतरीन नीतियों को लागू करने से इमारती व सजावटी पत्थरों का 95 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में होने लगा |
• खनन प्रंस्करण के अंतर्गत आजादी के बाद 1950 -51 में राज्य में मात्र 17 प्रकार के खनिजों का उत्पादन होता था | बतौर खान मंत्री श्री रामलाल जाट के नेतृत्व में विभागीय विकास के किये गए कार्यो के कारण 42 प्रधान और 23 अप्रधान खनिजों का दोहन किया जाने लगा |
• खनन उद्योग के अंतर्गत राज्य में 5 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यछ रूप में और इतने ही अप्रत्यछ रूप में रोजगार प्रदान किया गया |
• खनन उद्योग के अंतर्गत प्रक्रियाओं के सरलीकरण करने के साथ ही खनन में आधारभूत सुविधाओं के विस्तार के कारण खान विभाग से रिकॉर्ड राजस्व की प्राप्ति प्रदेश को हुई |
• खनिज प्रसंस्करण के अंतर्गत इसमें लगे श्रमिकों के स्वास्थ्य पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया गया | इसकी देशभर में सराहना हुई | नियोजित खनन के साथ ही खनन के अंतर्गत धूलकण , ध्वनि , विषैले धातुकणों, ताप, कंपन आदि से होने वाली बीमारियों पर भी विशेष रूप से ध्यान देकर श्रमिक हितों को प्राथमिकता दी गयी |

वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री रामलाल जाट के कुषल नेतृत्व में राजस्थान में वन विभाग की अर्जित की गयी विशेष उपलब्धियाँ

राजस्थान में वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में श्री रामलाल जाट की पहल पर मह्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ अर्जित की गयी है | श्री जाट के कुशल नेतृत्व में राजस्थान में पहली बार जहां राज्य की वन निति बनाकर उसे लागू किया गया वहीं पारिस्थितिकी पर्यंटन निति भी बनाकर उसको लागू किया गया | इसके अलावा जैव विविधता नियमों को तैयार किया गया | प्रदेश में जापान सरकार के सहयोग से जैव विविधता परियोजना 'जाईका' भी स्वीकृत हुई |
श्री रामलाल जाट के नेतृत्व में वन एवं पर्यावरण विभाग में कदम दर कदम हुए विकास का सक्षिंप्त विवरण इस प्रकार से है -

• 'हरित राजस्थान' जैसी मह्त्वपूर्ण योजना का क्रिवान्वयन-
श्री जाट की पहल पर प्रदेश में 'हरित राजस्थान' जैसी महत्वकांक्षी अभियान की पहल हुई | राजस्थान के इस अभियान की देखादेखी दूसरे राज्यों में भी इसी प्रकार की योजनाओँ का क्रिवान्वयन किया जाने लगा | अन्य राज्यों में ही नहीं बल्कि भारत वर्ष में 'हरित भारत' अभियान चलाये जाने पर तब जोर दिया गया था | 'हरित राजस्थान' के जरिए जो बड़ा काम प्रदेश में हुआ वह यह रहा की लोग पेड़ पौधों का महत्व समझने लगे तथा ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य में सरकार के साथ-साथ आम जनता ने अपने स्तर पर पौधे लगाने की पहली की | 'हरित राजस्थान' के तहत पेड़ों को बचाने,नए पेड़ लगाने की एक बड़ी मुहीम प्रदेश में चलायी गयी और यह जान अभियान बन गया |
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के कहे कथन "उगता हुआ वृक्ष प्रगतिशील राष्ट्र का प्रतीक है " को स्वीकार करते हुए वन मंत्री श्री रामलाल जाट ने स्वयं प्रदेश के स्थान-स्थान पर घूम-घूम कर पेड़ लगाने , पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश दिया | राजस्थान के इस अभियान की अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हुई |

• वनाच्धादित क्षेत्र में वृद्धि –
'हरित राजस्थान' जैसे अभियान से अल्प समय में ही राज्य में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई | भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की उपग्रह द्वारा सर्वेक्षण के आधार पर द्विवार्षिक वन स्थिति रिपोर्ट, 2009 में वर्ष 2005 की तुलना में 186 वर्गकिमी फोरेस्ट कवर में अभिवर्द्धि अंकित की गयी है | प्रदेश में वन एवं वृक्षाच्धादित क्षेत्र 24310 वर्ग़ किमी हो गया |

• जोधपुर में बायोलॉजिकल पार्क –
जोधपुर के माचिया क्षेत्र को सेन्टर जू ऑथोरिटी ऑफ़ इण्डिया के मापदंडानुसार बायोलॉजिकल पार्क के रूप में विकसित किया गया | इसका कंसेप्ट प्लान केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण , भारत सरकार से अनुमोदित करवाया गया | 35 हेक्क्टेयर भूमि पर बने पार्क में 21 वन्यजीव प्रजातियों हेतु एन्क्लोज़र बनाये गए | वर्ष 2010 -11 हेतु प्लान बजट में बायोलॉजिकल पार्क विकास हेतु 4 करोड़ का प्रावधान किया गया |

• वन रक्षकों की भर्ती –
राज्य में वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु सीधी भर्ती वन रक्षकों के एक हज़ार रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी | इसके अलावा प्रदेश में 1000 वन मित्र लगाए जाने की पहल की गयी |

• केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान हेतु पानी की समस्या का स्थायी समाधान –
राज्य का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो वर्ष पानी की कमी से जूझता रहा है , उसमें पानी की स्थायी व्यवस्था करने की दृष्टि से इस उद्यान में यमुना नदी के बाढ़ के पानी को गोर्धन ड्रेन से पाइप लाईन के माध्यम से लाने क लिए कुल 50 .७६ करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता से कार्य किया गया | वहां पर पानी की समस्या का स्थायी समाधान किया गया |

• राजस्थान की वन निति का निर्माण -
राजस्थान निर्माण के बाद पहली बार राज्य की प्रथम वन निति बनाकर उसे लागू करने का मह्त्वपूर्ण कार्य श्री जाट के कुशल नेतृत्व में राजस्थान में हुआ | इस निति के तहत राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां को ध्यान में रखते हुए वनाच्धादित क्षेत्र में वृद्धि करने, वन बचाने और वनों के सरंक्षण को केंद्र में रखा गया |

• 'पारिस्थितिकी पर्यंटन निति' का निर्माण –
राजस्थान में पहली बार पारिस्थितिकी पर्यंटन निति का निर्माण भी हुआ | इसके तहत प्रदेश के पारिस्थितिकी क्षेत्रों में भ्र्रमण के साथ ही वहां पर पारिस्थितिकी पर्यंटन को बढ़ावा देने के कदम उठाए गए |

• 'जैव विविधता नियम 2010' का निर्माण –
राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जो जैव विविधता में सर्वाधिक संपन्न है | इसे देखते हुए राजस्थान की जैव विविधता सरंक्षण के लिए नियम बनाए गए और उन्हें प्रदेश में लागू किया गया |

• 'बाघ सरंक्षण फाउंडेशन ' का गठन –
राज्य में स्थित रणथम्भौर एवं सरिस्का बाघ रिजर्वे फाउंडेशन का गठन किया गया | अभ्यारण्यों के विकास एवं वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की दृष्टि से बाघ सरंक्षण फाउंडेशन के गठन के महत्वपुर्ण परिणाम सामने आए | इसी प्रकार प्रदेश में राजस्थान प्रोक्टक्टेड एरिया कंज़र्वेशन सोसायटी का गठन भी हुआ |

• जापान सरकार के सहयोग की 'जाईका' परियोजना –
जापान सरकार के सहयोग से प्रदेश में 4 परियोजनाएं क्रियान्वित की गयी | इनके अंतर्गत कुल 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण करवाया गया | इसके अलावा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो में वन क्षेत्रो में रोजगार गतिविधियॉ को भी प्रारंभ कर वन क्षेत्र के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की पहल हुई |

• मनरेगा से बाउंड्री वाल निर्माण-
राज्य के एक लाख वन एवं सरंक्षित क्षेत्रों में पक्की दीवार निर्माण कार्य करवाया गया | जिलेवार इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर मनरेगा से कार्य करवाया गया |